सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को चुनौती देने वाली 144 याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान केंद्र को नोटिस जारी किया और सभी उच्च न्यायालयों को इस मामले पर फैसला होने तक सीएए को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करने से रोक दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केंद्र का पक्ष सुने बगैर सीएए पर रोक नहीं लगाई जाएगी।

याचिका में यह भी दलील दी गयी है कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है और यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करने वाला है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इसपर सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान सीजेआई कोर्टरूम में भीड़ देख बिफर गए। इस दौरान उन्होंने लॉ ऑफिसर को बुलाकर उनकी जमकर क्लास लगाई यहां तक कि उन्होंने वकीलों को भी नहीं बख्शा। दरअसल सीजेआई भीड़ और कोर्टरूम के बाहर से आ रही लोगों की आवाज पर भड़क गए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी बल का प्रयोग कर सकती है, लेकिन कुछ वकील ऐसे हैं जो सुनना ही नहीं चाहते।’

उन्होंने बेवजह की भीड़ पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की प्लानिंग के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐसे समूह के साथ परामर्श कर रहा है जो इमारत में आने-जाने वाले लोगों के सर्कुलेशन के लिए माहिर है।

सीजेआई ने लॉ ऑफिसर्स, सीनियर वकीलों से कहा कि वह कोर्टरूम में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए व्यावहारिक समाधान लेकर आए। वहीं इस मुद्दे पर सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि महिलाओं के साथ धक्कामुक्की होती है। इंदिरा जयसिंह के इस तर्क पर सीजेआई ने कहा कि महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुषों के साथ भी धक्कामुक्की होती है। यह पूरी तरह से अमानवीय है।’