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Russian Deputy Chief of Mission Roman Babushkin S-400 missiles will be supplied to India upto 2025
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चार साल बाद मिसाइलरोधी ताकत से पूरी तरह लैस हो जाएगा भारत
पीटीआई, नई दिल्ली
Published by: देव कश्यप
Updated Sat, 18 Jan 2020 02:08 AM IST
सार
रूस ने एस-400 मिसाइल प्रणाली का उत्पादन किया शुरू
भारत को सभी एस-400 रक्षा मिसाइल प्रणालियों की अपूर्ति 2025 तक कर दी जाएगी
22-23 मार्च को रूस-भारत-चीन के बीच होने वाली बैठक में हिस्सा लेने जाएंगे एस जयशंकर
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एस-400 मिसाइल
- फोटो : ट्विटर
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विस्तार
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चार साल बाद दुश्मन देश भारत पर मिसाइलों से हमला नहीं कर पाएंगे। दरअसल वर्ष 2024 में रूस बहुप्रतिक्षित एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की आपूर्ति कर देगा। रूसी दूतावास में डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रोमन बाबुशकिन ने बताया कि करार के बाद से ही वहां एस-400 का निर्माण शुरू कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस में 22 और 23 मार्च को होने वाली रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे।
बाबुशकिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन-रूस-ईरान के संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास में भारत को शामिल नहीं किए जाने पर कहा कि रूस देखेगा कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने इस युद्धाभ्यास को जमीनी स्थिति को समझने की दिशा में उठाया गया कदम बताया। बाबुशकिन ने कहा कि न्योता नहीं दिए जाने से भारत और रूस के संबंध खराब नहीं होंगे। हमारे हिस्से में रूस और भारतीय नौ सेना में अच्छा संपर्क है। जहां तक प्रतिबंध (ईरान पर) का सवाल है तो ऐसे प्रतिबंधों से भारत-रूस के संबंधों में दूरी नहीं आने वाली है।
गौरतलब है कि हवा में ही मिसाइलों को मार गिराने वाली एस-400 वायु रक्षा प्रणाली दुनिया की आधुनिकतम वायु रक्षा प्रणाली है। एस-400 मिसाइल सिस्टम से भारत को रक्षा कवच मिल सकेगा। दरअसल यह एक मिसाइल रोधी प्रणाली है। इसमें एक साथ मिसाइल लॉन्चर, शक्तिशाली रडार और कमांड सेंटर लगा होता है। इसमें तीन दिशाओं से मिसाइल दागने की क्षमता है। यह एस-300 का उन्नत संस्करण है। रूस इस उन्नत संस्करण एस-400 प्रयोग खुद के लिए ही कर रहा था। बाद में इस प्रणाली को चीन ने भी खरीदा। एस-400 का पहला उपयोग वर्ष 2007 में हुआ था।
खासियत : मिसाइल हमलों के खिलाफ भारत को मिलेगा रक्षा कवच
यह 400 किलोमीटर के दायरे में एक साथ परमाणु मिसाइल, क्रूज मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमान और बैलिस्टिक मिसाइलों को पलक झपकते ही नष्ट कर सकता है।
प्रणाली में लगा रडार 600 किलोमीटर दूर से ही अपने लक्ष्य को देख सकता है।
हर तरह की मिसाइल, लड़ाकू विमान को मार गिराने की सबसे अचूक क्षमता
चीन और पाकिस्तान की परमाणु सक्षम बैलेस्टिक मिसाइलों के लिए कवच की तरह काम करेगी।
आधुनिकतम जेट लड़ाकू विमान को भी मार गिराने में सक्षम है।
पाकिस्तान की सीमा में उड़ रहे विमानों को भी ट्रैक कर सकेगा।
अमेरिका कर चुका है विरोध
2017 में रूस के साथ हुए पांच अरब डॉलर के एस-400 मिसाइल सिस्टम के सौदे का अमेरिका विरोध कर चुका है। तुर्की ने भी रूस से एस-400 सौदा किया लेकिन अमेरिका ने उस पर पाबंदी लगा दी। हालांकि, भारत के मामले में अमेरिका पर वहां के सांसदों का दबाव है कि भारत को इस प्रतिबंध से दूर रखा जाना चाहिए, इसलिए अमेरिका ने इस पर नरम रुख अपनाया है।
लखनऊ में अगले माह होगी रक्षा प्रदर्शनी
अगले माह लखनऊ में रक्षा प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। रोमन बाबुशकिन ने बताया कि रूस के वाणिज्य मंत्री की अगुआई में 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल इस प्रदर्शनी में हिस्सा लेगा। उन्होंने कहा, रक्षा प्रदर्शनी में हिस्सेदारी करने वाला रूस सबसे बड़ा देश होगा। उम्मीद करते हैं कि इस दौरान दोनों देशों के बीच कई नए समझौते होंगे।
दूसरों के वजूद को नकारना चाहता है अमेरिका
वहीं, भारत में रूस के राजदूत निकोले कुदाशेव ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा, अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश दूसरे देशों के अस्तित्व को नकारना चाहते हैं। इनका संशोधनवादी एजेंडा है। अमेरिका दुनिया में ऐसा वैकल्पिक नजरिया बढ़ाना चाहता है जो प्रतिस्पर्धी होने के साथ-साथ विभाजनकारी भी है। सवाल उठता है कि हम क्यों उनके नजरिये को अपनाएं जब दुनिया में पहले ही ऐसी कई रणनीतियां हैं जो विचारशील और समावेशी हैं। रूसी राजदूत ने कहा कि पश्चिमी देशों के विचार चिंता पैदा करने वाले हैं। अमेरिका चीन को मिटाना चाहता है।
रूस कभी कश्मीर मुद्दे को यूएन लाने के पक्ष में नहीं रहा
पाकिस्तान की चीन के जरिए कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने की लगातार कोशिशों के संदर्भ में कुदाशेव ने कहा कि रूस कभी इस मुद्दे को यूएन में लाने के पक्ष में नहीं रहा है। यह द्विपक्षीय मुद्दा है। कश्मीर पर चर्चा के मामले में यूएन में भी आम सहमति नहीं है।
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