पूर्व वायु सेना प्रमुख बीएस धनोवा का कहना है कि रक्षा सौदों के विवादों में फंसने से सशस्त्र बलों की क्षमता पर असर पड़ता है। शनिवार को आईआईटी बंबई की ओर से आयोजित ‘टेकफेस्ट’ कार्यक्रम में उन्होंने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदा के विवाद पर बोलते हुए कहा कि इससे रक्षा खरीद प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को क्लिन चिट देना सही फैसला था। कहा, ‘मैंने हमेशा ही व्यक्तिगत रूप से यह कहा है, जब राफेल जैसा मुद्दा उछाला जाएगा, आप रक्षा खरीद प्रणाली को राजनीतिक रंग देंगे तब पूरी प्रणाली पीछे छूट जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘अन्य सभी फाइलें भी धीमी गति से आगे बढ़ेंगी क्योंकि लोग बहुत सचेत होना शुरू हो जाएंगे।’

कहा बोफोर्स सौदा भी विवादों में रहा था, जबकि बोफोर्स तोप ‘अच्छे रहे हैं’ : पूर्व एयर चीफ मार्शल ने कहा कि बालाकोट हवाई हमले के बाद भारत-पाकिस्तान गतिरोध के दौरान यदि विंग कमांडर अभिनंदन वर्द्धमान मिग 21 के बजाय राफेल उड़ा रहे होते, तो नतीजा कुछ अलग होता। पूर्व वायुसेना प्रमुख ने इस बात का जिक्र किया कि बोफोर्स सौदा भी विवाद में रहा था, जबकि बोफोर्स तोप ‘अच्छे रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि देश में ऐसी कई एजेंसियां हैं जो शिकायतें प्राप्त होने पर सौदों की जांच करती है। धनोवा ने कहा कि लोगों को विमानों की कीमतों के बारे में पूछने का अधिकार है, क्योंकि उसमें करदाताओं का पैसा लगा होता है। पिछले साल सितंबर में सेवानिवृत्त हुए धनोवा ने कहा, ‘विवाद पैदा होने के चलते रक्षा (साजो सामान) के आधुनिकीकरण के धीमा पड़ने का बाद में आप पर असर पड़ता है।’

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कहा कि पीएम का बयान सही था : कहा, ‘जैसा प्रधानमंत्री ने एक बयान दिया था। लोग इसे राजनीतिक कह रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि जो बयान उन्होंने दिया वह सही है।’ धनोवा ने कहा, ‘यदि हमारे पास राफेल होता तो स्थिति पूरी तरह से अलग होती।’ मोदी ने पिछले साल मार्च में कहा था कि पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक के दौरान यदि भारत के पास राफेल लड़ाकू विमान होते तो परिणाम अलग होता।

बताया कि 2001 में भी आतंकी शिविरों पर हमला करने के लिए वायु सेना तैयार थी : इससे पहले धनोआ ने  कहा था कि 2001 में संसद पर हमला और 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद भी पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर हवाई हमला करने के लिए वायु सेना तैयार थी। लेकिन तत्कालीन सरकारों ने उसकी अनुमति नहीं दी।