ZEE जानकारी: साल बदल गया है, लेकिन चुनौतियां नहीं, सफल होना है तो अपनाएं ये 'फॉर्मूला'
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ZEE जानकारी: साल बदल गया है, लेकिन चुनौतियां नहीं, सफल होना है तो अपनाएं ये 'फॉर्मूला'

आपके संघर्ष नहीं बदलते. सच ये है कि साल तो हर साल बदल जाता है, लेकिन देश की चुनौतियां नहीं बदलतीं. देश के शहरों पर जनसंख्या का बोझ बढ़ता जा रहा है. पिछले साल एक जनवरी को हालात इतने ख़राब नहीं थे, जितने आज हैं. अगले साल हालात इससे भी ख़राब होंगे.. और उससे अगले साल और ज़्यादा ख़राब होंगे. इसलिए साल बदलने का जश्न मनाने से कुछ नहीं होगा. नये साल का जश्न तब सार्थक होगा.. जब साल बदलने के साथ साथ देश में विचार भी बदलें और आप भी बदलें

ZEE जानकारी: साल बदल गया है, लेकिन चुनौतियां नहीं, सफल होना है तो अपनाएं ये 'फॉर्मूला'

ये नए साल का पहला DNA है और सबसे पहले Zee News की तरफ से हम आपको और आपके पूरे परिवार को नववर्ष की शुभकामनाएं देना चाहते हैं. आज सबसे पहले हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की एक बात आपको याद दिलाना चाहते हैं. महात्मा गांधी ने कहा था - “Be the change that you wish to see in the world.” यानी आप दुनिया में जो बदलाव देखना चाहते हैं.. वो बदलाव सबसे पहले खुद, अपने अंदर कीजिए. 

वैसे अगर आप ध्यान दें तो साल ही तो नया है, बाकी सब तो पुराना ही है. सोच पुरानी है. व्यवस्था पुरानी है और समाज भी पुराना है. हम सिर्फ वर्ष बदलने का जश्न मनाकर अपने जीवन में व्यस्त और मस्त हो जाते हैं. 2019 से 2020 हो गया. इसी तरह चलता रहा तो 2020 से 2021 हो जाएगा और 2021 से 2022 हो जाएगा लेकिन ज़मीनी हकीकत कभी नहीं बदलेगी. आपकी ज़िंदगी की चुनौतियां, नहीं बदलतीं.

आपके संघर्ष नहीं बदलते. सच ये है कि साल तो हर साल बदल जाता है, लेकिन देश की चुनौतियां नहीं बदलतीं. देश के शहरों पर जनसंख्या का बोझ बढ़ता जा रहा है. पिछले साल एक जनवरी को हालात इतने ख़राब नहीं थे, जितने आज हैं. अगले साल हालात इससे भी ख़राब होंगे.. और उससे अगले साल और ज़्यादा ख़राब होंगे. इसलिए साल बदलने का जश्न मनाने से कुछ नहीं होगा. नये साल का जश्न तब सार्थक होगा.. जब साल बदलने के साथ साथ देश में विचार भी बदलें और आप भी बदलें.. वैसे आज हमने ये तय किया था कि साल के पहले दिन हम आपको सिर्फ Positive ख़बरें दिखाएंगे लेकिन शाम होते-होते.. हालात ऐसे हो गये कि एक Positive ख़बर ढूंढना भी मुश्किल हो गया.

जनसंख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि सड़कों पर चलने के लिए जगह नहीं बची है. आज साल के पहले दिन ही Traffic Jam की ऐसी तस्वीरें देश के हर बड़े शहर में देखने को मिलीं. इंडिया गेट पर 70 से 80 हज़ार लोग पहुंच गए, जिन्हें हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को लाउड-स्पीकर के जरिए announcement करवानी पड़ी. हालात ये हो गए कि इंडिया गेट के आसपास के 5 मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया, जिन्हें स्थिति सामान्य होने के बाद ही खोला गया . इस बीच दिल्ली के ITO में भारी ट्रैफिक के बीच एक एंबुलेंस काफी देर तक फंसी रही.

राजधानी की हालत ये है कि न चलने के लिए जगह है न सांस लेने के लिए साफ हवा . देश के बड़े शहरों में सांस लेना भी आज एक आम भारतीय नागरिक के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. साफ पानी, शिक्षा का अधिकार, समय पर उचित इलाज करवाने का अधिकार, अतिक्रमण से मुक्त सड़कें और बाज़ार. ये सब मूलभूत ज़रूरतें हैं.. लेकिन इन्हें भी हमारे देश के चाल चलन ने एक चुनौती बनाकर छोड़ दिया है. यानी हम भले ही 2019 से 2020 में प्रवेश कर गये हों.. लेकिन हमारी चुनौतियां अब भी वही हैं.. यानी सिर्फ साल बदला है. समस्याएं नहीं बदलीं. इन तमाम चुनौतियों को आंकड़ों के Lens से देखना ज़रूरी है. नए साल पर आपको बहुत से गिफ़्ट मिले होंगे लेकिन आज हम आपको नई सोच और कुछ नये आंकड़े गिफ्ट करना चाहते हैं .

देश की सड़कें तो हर साल जाम हो जाती हैं..लेकिन अगर आप जिंदगी की सड़कों पर रफ्तार से दौड़ना चाहते हैं तो आपको हमारा अगला विश्लेषण देखना होगा. हम कामना करते हैं कि ये नया साल आपकी जिंदगी को खुशियों से भर दें, और आपको मनचाही सफलता हासिल हो . लेकिन इस साल खुशियों और सफलता के Highways पर दौड़ने के लिए आपको Fastag जैसी गति और Twenty Twenty Cricket Match जैसी ऊर्जा को अपने व्यक्तित्व का हिस्सा बनाना होगा..इसलिए आज आप..आपके काम के दो शब्द ध्यान से नोट कर लें..ये दो शब्द हैं ऊर्जा और गति. और इन्हीं दो शब्दों में हर उस सफलता का फॉर्मूला छिपा है..जिसे आप 2020 में हासिल करना चाहते हैं . लेकिन इसे समझने के लिए आपको सबसे पहले दो वीडियोज़ देखने चाहिए..पहला वीडियो है उस 2007 के उस Twenty Twenty Match का जिसमें Batsman युवराज सिंह ने 6 गेंदों पर 6 छक्के मारे थे .

दूसरा वीडियो है फॉर्मूला वन रेसिंग के Pit Stop का. इस Pit Stop पर रुकने वाली Racing Cars के पहिए सिर्फ तीन सेकेंड्स में बदल दिए जाते हैं और इन्हीं तीन Seconds में कार के Wings ठीक कर दिए जाते हैं, शीशे साफ कर दिए जाते हैं छोटी-मोटी तकनीकि खामियों को भी दूर कर दिया जाता है. ये सब सिर्फ 3 से 5 सेकेंड्स में हो जाता है और जिस टीम के मकैनिक ऐसा नहीं कर पाते..उसे अक्सर रेस हारनी पड़ती है. इन दोनों Videos में ये संदेश छिपा है कि आपको ऊर्जावान भी बनना होगा और गति को भी अपना हथियार बनाना होगा.

आज का हमारा ये विश्लेषण.. आपको ऊर्जावान बनाएगा और इससे आप नए वर्ष यानी Twenty-Twenty के Player Of The Year बन पाएंगे. हमने अपने इस विश्लेषण को भी बीस-बीस मिनटों के दो हिस्सों में बांटा है. पहले 20 मिनटों में आपको पता लगेगा कि आप इस साल खुद को सफल बनाने के लिए क्या कर सकते हैं और उसके अगले 20 मिनटों में आप जान पाएंगे कि एक देश के तौर पर भारत खुद को कैसे ज्यादा शक्तिशाली और ज्यादा प्रभावशाली, बना सकता है.

इसलिए आप DNA के अगले 40 मिनटों को नए साल में सफलता और खुशियों की कुंजि मानकर चलिए और ये समझने की कोशिश कीजिए कि कैसे ज़माना तेज़ी से बदल रहा है और आपको ज़माने के साथ बदलने के लिए भरपूर ऊर्जा और गति का इस्तेमाल करना होगा. उदाहरण के लिए वर्ष 2014 तक भारत के लोग खाना पकाते हुए रसोई में सबसे ज्यादा समय बिताते थे. तब एक भारतीय हफ्ते में औसतन 13 घंटे 20 मिनट रसोई में खाना बनाते हुए बिताता था. यानी प्रतिदिन औसतन 2 घंटे खाना बनाने में बीत जाते थे .

लेकिन 2018 आते-आते करीब 10 करोड़ भारतीय Online खाना Order करने लगे और अब औसतन 20 मिनटों में गरमा गरम खाना. Retaurants से आपके घर तक पहुंच जाता है . कहने का मतलब ये है कि जिस देश में पहले लोग कहा करते थे कि बाहर के खाने पर पैसे बर्बाद नहीं करने चाहिए..उसी देश के लोग अब समय बचाने के लिए Online खाना Order कर रहे हैं और कह रहे हैं कि Time Is Money यानी..समय बचाना भी पैसा कमाने के बराबर है.

इसी तरह 2003 से पहले आम तौर पर क्रिकेट के दो ही फॉर्मेट थे. पहला था टेस्ट मैच..जो अक्सर पर 5 दिनों तक चलता है और दूसरा था One Day Format जिसमें दोनों टीमें पचास-पचास ओवर खेलती है . लेकिन फिर आया Twenty-Twenty. और इसने क्रिकेट खेलने और देखने के तरीकों को बदल दिया. One Day में जितनी देर में एक टीम भी अपनी बल्लेबाज़ी पूरी नहीं कर पाती है उससे भी कम वक्त में Twenty Twenty में हार और जीत का फैसला हो जाता है . International Cricket Council यानी ICC के मुताबिक पूरी दुनिया में Twenty-Twenty Cricket के 100 करोड़ से ज्यादा प्रसशंक हैं और इनकी औसत उम्र सिर्फ 34 वर्ष है . आधिकारिक तौर पर पहला टेस्ट मैच आज से 143 वर्ष पहले यानी 1877 में खेला गया था और टेस्ट से One Day तक आते आते क्रिकेट को 94 साल लग गए .

पहला One Day Match ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच 1971 में खेला गया था . लेकिन इसके बाद 26 वर्षों में ही क्रिकेट Fans को सबसे आधुनिक और सबसे तेज़ Format मिल गया . इसके बाद तीन घंटों में हार और जीत का फैसला होने लगा और युवाओं के लिए बोरिंग होते जा रहे क्रिकेट को नई संजीवनी मिल गई और क्रिकेट पहले से भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया .

हम आपको ये उदाहरण इसलिए दे रहे हैं क्योंकि नए साल में आपको भी अपनी गति और ऊर्जा बढ़ानी होगी . और अपने जीवन को Twenty-Twenty के Format जैसा बनाना होगा . Twenty Twenty क्रिकेट में गलती की ज्यादा गुंजाइश नहीं होती लेकिन हर गेंद पर तेजी से रन बनाने होते हैं . इसी तरह आपको भी बिना गलतियां दोहराए हर अवसर का बेहतर इस्तेमाल करना होगा और जीवन के मैच में चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी सफलता के Run Rate और इरादों के Strike Rate को सुधारना होगा.

ये वो दौर है जब लोग दवाइयां भी ऐसी चुनते हैं जो उन्हें मिनटों में दर्द से राहत दिला सकें. यानी लोगों को रोग भगाने का भी Instant फॉर्मूला चाहिए . इसलिए नए वर्ष में आपको नए सकारात्मक विचारों की वो गोली चाहिए होगी जो मन में तुरंत घुल जाए और उसका असर आप फौरन महसूस कर पाए. Medication यानी दवाइयों के साथ साथ लोग Meditaion यानी ध्यान भी ऐसे ही करना चाहते है...जिससे उन्हें Instant शांति मिल पाए . बाज़ार में अब इसके भी साधन उपलब्ध है और आप अपने Mobile Phones पर ऐसी Applications..Download कर सकते हैं जो आपको 2 मिनट से लेकर 20 मिनट के समय में ध्यान करना सिखा सकती हैं . यानी अब ज़माना Instant Noodles से Instant निर्वाण तक आ गया है .इस दौर में Instant यज्ञ से लेकर Instant पूजाएं तक हो रही हैं . और अब ध्यान और साधनाएं गुफाएं में नहीं होती..बल्कि आपका Mobile Phone या Tablet भी आपके लिए Instant पूजा के मार्ग खोल सकता है. इसका एक उदाहरण देने के लिए हम आपको एक वीडियो दिखाना चाहते हैं .

ये भी देखें: 

ध्यान... तेज़ी से भागते दौड़ते जीवन में कुछ पल ठहर जाने का साधन है..लेकिन लोगों के पास अब Meditation के लिए भी ज्यादा वक्त नहीं है और लोग ध्यान पर उतना ही समय देना चाहते हैं...जितना समय Formula One Race में दौड़ने वाली Racing Cars को Pit Stop पर लगता है . F 1 race में Pit Stop पर रुकने वाली कारों की सफाई, पहिए बदलने और कार की छोटी मोटी तकनीकि खामियां दूर करने के लिए मकैनिकों की Teams 3 Seconds से भी कम का वक्त लेती है .

नए वर्ष में जीवन की गाड़ी को आराम देने वाले Pit Stop पर भी आपको ऐसी ही तेज़ी दिखानी होगी . और जैसे आपकी गाड़ी पर लगा Fastag आपको Highways पर तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद करता है..ठीक उसी तरह आपको अपने जीवन में भी Fastag अपनाना होगा..ये Fastag आपको सफलता के Super Fast Track पर डाल सकता है .

अब सवाल ये है कि वर्ष Twenty-Twenty में आप अपने जीवन को T-20 क्रिकेट की तरह सुपरहिट कैसे बना सकते हैं . इसके लिए आपको अपने आस-पास हो रहे बदलावों से ही शिक्षा लेनी होगी .
उदाहरण के लिए नए वर्ष में भविष्य की गहराइयों में छलांग लगाने के लिए आपको सोचने का ज्यादा वक्त नहीं होगा..कई बार लोग किनारे पर बैठकर ये सोचते रहते हैं कि हम कुछ नया करें या ना करें..कहीं नया करने के चक्कर में हम डूब तो नहीं जाएंगे . लेकिन सच ये है कि डूबने की चिंता आपको कभी तैरने ही नहीं देगी...और आप किनारे पर ही बैठे रह जाएंगे .

हिंदी साहित्य के महान कवि हरिवंश राय बच्चन अपनी एक कविता में कहते हैं कि
जीवन में एक सितारा था
माना वो बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई 
यानी जीवन में ऊर्जा और गति बनाए रखने के लिए आपको शोक, दुख और संताप की बाधाओं को पार करना होगा..जो ड्राइवर सिर्फ Rear View Miror में देख कर गाड़ी चलता है..वो कभी अपनी गति नहीं बढ़ा पाता....गाड़ी के शीशों में देखने का मकसद सिर्फ पीछे से आने वाले ट्रैफिक को समझना होता है...सफर में असली गति तभी आती है जब आप आगे देखकर गाड़ी चलाते हैं. ठीक इसी तरह जीवन की गाड़ी में लगे यादों के Rear view Miror में बार बार दुखों और असफलताओं को देखने की बजाय..भविष्य की Wind Screen पर नज़रें जमाइए और आगे बढ़ते रहिए.

 

अब आप अपने जीवन के बहुत सारे काम Online निपटा लेते हैं. आप Online खाना Order कर सकते हैं, Shopping कर सकते हैं, शिक्षा हासिल कर सकते हैं, दोस्त बनाते हैं और यहां तक कि लोग प्रेम और शादियां भी Online Apps की मदद से ही कर रहे हैं. अभी मशीनों और Softwares ने इंसानों की जगह तो नहीं ली है लेकिन इंसानों का जिंदगी जीने का तरीका बदल गया है. ये Softwares और मशीनें इंसानों और ज़रूरतों के बीच पुल की तरह हैं . और हम इन पर इतना निर्भर इसी लिए हैं..क्योंकि हम सबकुछ तेज़ी से करना चाहते हैं . वक्त को बचाना पैसा ही नहीं बल्की खुद को बचाने के बराबर है . लेकिन जल्द ही ये मशीनें, Softwares और Artificial intelligence... काम करने के मामले में इंसानों को पीछे छोड़ने लगेंगी . तब इंसान ही उत्पाद बन जाएगा और इंसान ही बाज़ार बन जाएगा . यानी पहले बाज़ार तकनीक की मदद से आपकी ज़रूरतों का पता लगाएगा और फिर आपकी ज़रूरतों के मुताबिक बनाए गए Products को आपको ही बेच देगा . और इस बाज़ार को चलाने में हमारी भूमिका नहीं होगी . इसलिए 2020 के दौरान आपको खुद को लगातार Update करना होगा और अगर बुरा वक्त आए तो खुद को Re-Invent भी करना होगा . ठीक वैसे ही जैसे Mobile Phone Applications को लगातार Update करना पड़ता है .

ये वर्ष एक ऐसे युग की शुरुआत साबित हो सकता है...जहां से पीछे मुड़कर देखना आसान नहीं होगा..एक व्यक्ति के तौर पर हर दिन आपको अपना नया Version विकसित करना होगा और खुद को दूषित विचारों के वायरस से भी बचाकर रखना होगा. अगर आप सिर्फ बुद्धिमान हैं..तो भी काम नहीं चलेगा..क्योंकि artificial intelligence की बदौलत बुद्धी तो अब मशीनों के पास भी आ चुकी है. अगर कोई एक चीज मशीनों के पास नहीं है तो वो है विवेक. विवेक का अर्थ होता है अंतर आत्मा की आवाज़ सुनना और उसके आधार पर सही और गलत के बीच फर्क समझ के फैसला करना . इसलिए ये साल भले ही ऊर्जा और गति का साल होगा लेकिन इस ऊर्जा और गति का सही इस्तेमाल तभी हो पाएगा जब आप विवेक से काम लेंगे.

अगर आपने ऐसा नहीं किया तो हो सकता है कि आने वाला दौर Digital Dictatorship का दौर साबित हो जाए क्योंकि जो इंसान खुद की गति और ऊर्जा नहीं बढ़ाएंगे. उनसे जुड़े फैसले मशीनें लेने लगेंगी और आप मशीनों की तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन भी नहीं कर पाएंगे.

कहते हैं विवाह किसी समाज के निर्माण और विस्तार के लिए सबसे जरूरी है..जब लोग विवाह करते हैं तभी समाज का विस्तार होता है लेकिन 20-20 वाले युग में होने वाले विवाहों के पीछे की सोच भी बदल रही है और आने वाले वक्त में इसमें और बदलाव आएगा. उदाहरण के लिए अब दंपतियों का जीवन काफी हद तक बदल चुका है क्योंकि दांपत्य जीवन में भी Technology की Entry हो चुकी है. लोग Dating Apps पर प्रेम कर रहे हैं और शादियां भी Online ही तय हो रही है. और लोग Online रास्तों से होते हुए...Digital दांपत्य जीवन में प्रवेश कर रहे हैं. खाना बनाने को लेकर होने वाली लड़ाइयां अब नहीं होती क्योंकि Online Food डिलिवरी ने इस समस्या का समाधान कर दिया है और अब कई बार तो कई दिनों तक लोग घर पर खाना ही नहीं बनाते. रसोई का सामान लाने को लेकर भी अब पति-पत्नी के बीच बहस कम हो गई हैं..क्योंकि आप अपनी रसोई का जो सामान चाहें Online मंगा सकते हैं. 

एक ज़माने में एक मध्यम वर्गीय परिवार के पास एक घर और एक गाड़ी हुआ करती थी और अक्सर उस गाड़ी का इस्तेमाल घर के पुरुष ही करते थे लेकिन अब देश का युवा गाड़ी और घर खरीदना ही नहीं चाहता. उसे EMI से डर लगता है. वो किराए का घर लेकर रहना ज्यादा पसंद करता है. सफर के लिए Online Cab सर्विस का इस्तेमाल करता है. यानी आज का युवा अपने भविष्य को कर्ज़ और EMI के समन्दर में डुबोना नहीं चाहता. 

पहले जब पुरुष काम के सिलसिले में बाहर जाते थे तो अक्सर उनका संपर्क कई दिनों तक घर वालों से नहीं हो पाता था और घर वालों को चिंता सताने लगती थी लेकिन अब वीडियो Calling जैसी सुविधाओं ने इस चिंता को भी दूर कर दिया है. यानी नए युग के दंपति App दंपति बन गए हैं. आप इन्हें App Couple भी कह सकते हैं लेकिन Mobile Applications ने जीवन को आसान बनाया है. रिश्तों को नहीं. रिश्तों में अब भी सहयोग के Application की ज़रूरत होती है और जब तक आप प्रेम की ऊर्जा और समझदारी की गति को बनाए रखते हैं आप शादी शुदा जीवन को भी Twenty Twenty मैच जैसा रोमांचक बनाने में सफल हो पाते हैं.

हमारा ये दूरदर्शी विश्लेषण देखकर आपने भी नए वर्ष के लिए कुछ प्रण लेने का इरादा कर लिया होगा. हम चाहते हैं कि अगर आप कोई प्रण लें तो उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाएं लेकिन नए साल को उज्जवल बनाने के लिए सिर्फ नागरिकों को ही नहीं बल्कि एक देश के तौर पर भारत को भी कुछ प्रण लेने होंगे और इसमें भारत कुछ दूसरे देशों से शिक्षा ले सकता है.

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