किसानों के लिए बड़ी खबर! आज रजिस्ट्रेशन कराने वालों को ही मिलेगा इस स्कीम का फायदा, जानिए सबकुछ
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) में बुआई के 10 दिन के अंदर किसान को PMFBY का अप्लीकेशन भ ...अधिक पढ़ें
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नई दिल्ली. अगर आपको रबी फसलों के लिए बीमा करवाना है तो आज (31 दिसंबर 2019) आखिरी तारीख है. यदि आप इन फसलों पर रिस्क कम करना चाहते हैं तो आपको आज ही अपने नजदीकी जनसेवा केंद्र, बीमा एजेंट या सीधे बीमा कंपनी से संपर्क करना होगा. रबी फसलों में गेहूं, सरसों, अलसी, चना, मटर, मसूर आदि की खेती आती है. मोदी सरकार (Government of India) ने किसानों की एक बड़ी समस्या का समाधान कर लिया है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) में किसानों की फसल के नुकसान का आंकलन अब सैटेलाइट से किया जाएगा. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि रबी फसल वाले सीजन में कई फसलों को इसमें शामिल किया गया है. इस तकनीक से फसल उपज का सही अनुमान लगाया जा सकेगा. जिससे किसानों को बीमा दावों का भुगतान शीघ्र हो सकेगा.
96 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट
हालांकि प्रोजेक्ट को सही तरीके से लागू करने के लिए कृषि विभाग के कर्मचारी फील्ड में जाकर अवलोकन भी करेंगे. इसके जरिए स्मार्ट सैंपलिंग होगी. साथ ही, इससे किसानों (Farmers) को बीमा दावों (Insurance claim) का भुगतान पहले के मुकाबले जल्दी होगा. देश के 10 राज्यों के 96 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत की गई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी दी है.
रबी फसलों में गेहूं, सरसों, अलसी, चना, मटर, मसूर आदि की खेती आती है.
फसल बीमा योजना में किन जोखिमों पर मिलता है भुगतान- कृषि मंत्री का कहना है कि योजना के अंतर्गत ओले पड़ना, जमीन धसना, जल भराव, बादल फटना और प्राकृतिक आग से नुकसान पर खेतवार नुकसान का आंकलन कर भुगतान किया जाता है. आपको बता दें कि प्राकृतिक आपदा में फसलों को नुकसान पहुंचने पर केंद्र सरकार ने किसानों को उसकी भरपाई के लिए फरवरी 2016 में अति महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ की शुरुआत की थी.
PMFBY में कैसे मिलता है लाभ
>> बुआई के 10 दिन के अंदर किसान को PMFBY का अप्लीकेशन भरनी होगी.
>> बीमा की रकम का लाभ तभी मिलेगा जब आपकी फसल किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से ही खराब हुई हो.
>> बुवाई से कटाई के बीच खड़ी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं, रोगों व कीटों से हुए नुकसान की भरपाई.
>> खड़ी फसलों को स्थानीय आपदाओं, ओलावृष्टि, भू-स्खलन, बादल फटने, आकाशीय बिजली से हुए नुकसान की भरपाई.
>> फसल कटाई के बाद अगले 14 दिन तक खेत में सुखाने के लिए रखी गई फसलों को बेमौसम चक्रवाती बारिश, ओलावृष्टि और आंधी से हुई क्षति की स्थिति में व्यक्तिगत आधार पर क्षति का आकलन कर बीमा कंपनी भरपाई करेगी.
>> प्रतिकूल मौसमी स्थितियों के कारण फसल की बुवाई न कर पाने पर भी लाभ मिलेगा.
कितना देना पड़ता है प्रीमियम
>> खरीफ की फसल के लिये 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है.
>> PMFBY योजना में कॅमर्शियल और बागवानी फसलों के लिए भी बीमा सुरक्षा प्रदान करती है. इसमें किसानों को 5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है.
फायदा लेने के लिए इन डॉक्यूमेंट की जरूरत
>> किसान की एक फोटो, आईडी कार्ड, एड्रेस प्रूफ, खेत का
>> खसरा नंबर, खेत में फसल का सबूत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 में खरीफ फसल में 404 लाख किसानों ने 382 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगी फसल का बीमा कराया था.
फसलों को नुकसान के एवज में बीमा कंपनियों ने उन्हें 10525 करोड़ रुपये बतौर मुआवजा दिया था, जबकि केंद्र और राज्य सरकारों ने निजी व सरकारी बीमा कंपनियों को 131018 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में भरे थे.
2017-18 में खरीफ फसलों का बीमा कराने वाले किसानों की संख्या घटकर 349 लाख और कृषि क्षेत्रफल 343 लाख हेक्टयर रह गया.
उस साल फसल नुकसान पर बीमा कंपनियों ने 17707 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया. वहीं, प्रीमियम के रूप में बीमा कंपनियों को 1,29,295 करोड़ रुपये की राशि मिली.
साल 2018 में नवंबर तक बीमा कराने वालों किसानों की संख्या 343 लाख हो गई. कृषि क्षेत्रफल की बात करें तो यह 310 लाख हेक्टेयर पर सिकुड़ गया. इस अवधि में बीमा कंपनियों को केंद्र व राज्य सरकारों से 11,28,214 रुपये प्रीमियम मिला.
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