शाहनवाज हुसैन बोले- नागरिकता संशोधन विधेयक देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं
शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यह बिल उन लोगों को भारत में शरण देने के लिए है जो पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान में कट्टरवाद और धर्म के आधार पर प्रताड़ित हैं।
नई दिल्ली, ऐजेंसी। नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (Citizen Amendment Bill 2019) लोकसभा में पास हो गया है। मंगलवार को दोपहर दो बजे बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। बिल पर जारी गहमा-गहमी के बीच भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि इस विधेयक में देश के मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नही है।
शाहनवाज हुसैन ने कहा, 'मैं देश के सभी मुस्लिम भाइयों-बहनों को कहना चाहता हूं की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में देश के मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नही है। इस देश का मुस्लिम उतना ही अधिकार रखता है जितना कोई हिन्दू, सिख, इसाई या जैन।'
कट्टरवाद और धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोगों को शरण
उन्होंने कहा कि यह बिल उन लोगों को भारत में शरण देने के लिए है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में कट्टरवाद और धर्म के आधार पर प्रताड़ित हैं। यह तीनों देश इस्लामिक देश हैं और लाजमी है कि यहां पर मुसलमानों के साथ धर्म के आधार पर प्रताड़ना नहीं हो सकती। इसलिए इन देशों के मुसलमानों को नागरिकता नहीं दी जा सकती।
विपक्ष पर धर्म के नाम पर लड़ाने का आरोप
विपक्ष पर निशाना साधते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा, 'कांग्रेस जिसने पिछले 60 साल से देश के मुसलमानों के लिए कुछ नही किया अब सत्ता हाथ से जाने के बाद मुसलमानों को धर्म के नाम पर लड़ाने के मकसद से इस बिल को देश के मुसलमानों से जोड़कर दिखाने की कोशिश कर रही है। क्या कांग्रेस देश के मुसलमानों को विदेशी मानती है जो इस बिल को उनसे जोड़ रही है? कांग्रेस के मन में खोट है।'
किसी भी नागरिक के अधिकार का हनन नहीं
शाहनवाज हुसैन ने आगे कहा कि विपक्ष कह रहा है कि यह बिल धारा 14 उल्लंघन करता है। Article 14 (Right to equality) का नागरिकता संशोधन बिल से क्या संबंध है मुझे समझ नही आ रहा है। Article 14 देश के नागरिकों के बीच समानता के अधिकार की बात करता है और नागरिकता संशोधन बिल का देश के किसी भी नागरिक के अधिकार से कुछ लेना देना नहीं है। यह बिल तो दूसरे देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को रहने का अधिकार देने की बात करता है। यह कानून कैसे देश के नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है? बड़ी विडंबना है कि जिन्होंने देश का कानून बनाया उन्हें फंडामेंटल राइट्स के शुरूआती धाराओं के बारे में भी नही पता है।