भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने मंगलवार को कहा कि उन्हें अपनी पार्टी से कोई दिक्कत नहीं है और इसे छोड़ने के लिए उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया है। उनके अगले राजनीतिक कदम को लेकर कयासबाजियां तेज हैं।

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री ने तीन दिन पहले पार्टी नेतृत्व पर परोक्ष हमला करते हुए कहा था कि अगर उनका ‘‘अपमान’’ जारी रहा तो वह ‘‘दूसरे विकल्पों’’ पर गौर करेंगे। खडसे ने पिछले दो दिनों में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि इन मुलाकातों के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं है।

खडसे ने मंगलवार को यहां विधान भवन में ठाकरे से करीब 40 मिनट तक मुलाकात की। सोमवार को दिल्ली में वह पवार से मिले थे। विधान भवन के बाहर संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि उत्तर महाराष्ट्र के अपने गृह जिले जलगांव में 6500 करोड़ रुपये की दो लंबित सिंचाई परियोजनाओं के सिलसिले में उन्होंने पवार से मुलाकात की थी।

उनका कहना था कि इन परियोजनाओं को भाजपा-शिवसेना सरकार में मंजूरी दी गई थी। खडसे ने कहा कि उन्होंने ठाकरे से आग्रह किया कि भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे का स्मारक औरंगाबाद में बनाने के काम में तेजी लाई जाए। एकनाथ खडसे के रुख के बाद पार्टी में बगावत की आशंका काफी तेज हो गई है। मालूम हो कि खडसे की बेटी इस बार औरंगाबाद में विधानसभा चुनाव हार गई थीं।

खड़से ने हार के लिए पार्टी के नेताओं के भितरघात को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने महाराष्ट्र पार्टी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल को भी इस बारे में सूचित कर दिया था। खडसे का कहना है कि उनके पास चुनाव हरवाने वालों के खिलाफ सबूत हैं वह अपना अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।

इससे पहले भी खडसे ने कहा था कि वह बीजेपी नहीं छोड़ना चाहते लेकिन अपमानित किया जाता रहा तो उन्हें ऐसा करने के लिए सोचना पड़ सकता है। मालूम हो कि खडसे फडणवीस सरकार में राजस्व मंत्री रह चुके हैं।