टोक्यो ओलंपिक 2020 से पहले रूस को एक बड़ा झटका लगा है। सोमवार को ग्लोबल एंटी डोपिंग लीडर्स ने रूस को चार साल के लिए बैन कर दिया। इसके मुताबिक अगले साल टोक्‍यो ओलंपिक्‍स में भी रूस शामिल नहीं हो सकेगा। वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (WADA) लंबे समय से रूस के ड्रग टेस्टिंग सिस्टम की जांच कर रहा था और सोमवार को इस पर फैसला लिया गया। अंतरराष्‍ट्रीय ओलंपिक समिति के हेडक्‍वार्टर लुसाने, स्विट्जरलैंड के करीब विशेष बैठक करके इस पर फैसला लिया गया।

इसके तहत 2022 फुटबॉल विश्‍व कप में भी रूस हिस्सा नहीं ले सकेगा। रूस पर भले ही यह प्रतिबंध लगाया गया हो लेकिन उसके वे खिलाड़ी, जिन्हें डोपिंग में क्लीन चिट मिल जाएगी वे न्यूट्रल फ्लैग (तटस्थ झंडे) के इन खेलों में हिस्सा ले सकेंगे। बता दें कि रूस की सरकारी खेल समितियों की सहमति के बाद WADA को खिलाड़ियों की गलत डोपिंग रिपोर्ट भेजी गई। इसके बाद दुनिया भर में इसकी कड़ी आलोचना हुई और इस विवाद पर लगातार लोग अपना गुस्सा जाहिर करने लगे। WADA द्वारा कराए गए जांच में कनाडा के वकील रिचर्ड मैक्लॉरेन को सोची ओलंपिक में स्टेट स्पॉन्सर डोपिंग के सबूत मिले थे।

वहीं साल 2014 में इंटरनेशनल ओलंपिक कमीशन (IOC) की एक जांच में कई रशियन एथलीट्स को डोपिंग का दोषी पाया गया था। जिसके बाद उन्होंने खिलाड़ियों को बैन भी किया। बैन की वजह से उस दौरान होने वाले कई इंटरनेशनल गेम्स में वह हिस्सा भी नहीं ले सकें थे। हालांकि, साल 2018 में खिलाड़ियों से बैन हटा दिया गया था। 2014 में रूस की 800 मीटर रनर यूलिया स्टेपानोवा के पति ने एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए रूस में डोपिंग को लेकर चल रहे इस गड़बड़ घोटाले को लोगों के सामने रखा था।

RUSADA चीफ रह चुके ग्रिगोरी रूडशेंकोव ने एंटी डोपिंग और गुप्तचर सेवा के मेंबर्स पर साल 2014 में सोची विंटर ओलंपिक के दौरान खिलाड़ियों के यूरिन सैंपल को बदलने का आरोप भी लगाया था। WADA के इस बैन के खिलाफ रूस अगले 21 दिन के भीतर अपील कर सकता है। ऐसा करने पर यह मामला कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (CAS) को भेजा जाएगा। जिसके बाद इस पर आगे की सुनवाई होगी।